Psychological impact of worshipping lord Ganesha

 

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते हैं,जो जिस-जिस देवता का श्रद्धा पूर्वक पूजन करते है।उस उस भक्त को उसी श्रद्धा में स्थिर कर देता हूं।(ज्ञान-विज्ञान योग -21)

 भारतीय सनातन धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा - आराधना का प्रावधान है। आप ने कभी सोचा है कि ईश्वर तो एक है,पर फिर हम इसे विभिन्न स्वरूपों में क्यो पूजते हैं? यदि हम ध्यान से इन विभूतियों की मूर्तियों का अवलोकन करें ,तो हमें पता चलेगा कि इनका कितना बड़ा मनोवैज्ञानिक कारण है।

 आज हम श्री गणेश जी के बारे में कुछ तथ्यों को जानने का प्रयास करते हैं। गणेश जी का जन्म माता पार्वती के मैल का परिणाम था।जिसे द्वार पर माता ने किसी को भी न आने देने का कार्य सौंपा। चुंकि श्री गणेश मैल से बने थे।अतः उनमें तामसिक प्रवृत्तियां थी।जो किसी का सम्मान न करना ,हठधर्मीता भी थी। ऐसे में उनका वध शिवजी के हाथों होता है।माता पार्वती के अत्यधिक प्रलाप से श्री विष्णुजी के द्वारा गणेश के शरीर पर हाथी का सिर लगाकर उसे जीवित कर दिया जाता है। हाथी मनुष्य के सिर की तुलना में बड़ा तथा जटील होता है। हाथी की स्मृति मनुष्यों की तुलना में कई गुना अधिक होती है। हाथी के मस्तिष्क की जटीलता उसे चीजों में भेद करने की छमता को भी मनुष्य की तुलना में अधिक बढ़ा देती है। अतः श्री गणेश तीव्र बुद्धि वाले देवता बन गये।

जो मनुष्य मानसिक रूप से कमजोर है। उन्हें श्री गणेश की आराधना करनी चाहिए। गणेश के बारह नामों का जाप एक दिन में 12 बार करने से यह मस्तिष्क की तिव्रता को बढ़ाता है। नामों को बोलते समय प्रत्येक बार उससे संबंधित गणेश के अंगों की मस्तिष्क में छवी बनाए। परिवर्तन देख आप खुद हैरान होगें। 


ये बारह नाम- 

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
 तृतीय कृष्णपिंड्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।। 

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। 
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।। 

नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्। 
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।।


  जय श्री गणेश ।।🌺🌺🙏🏻🙏🏻🌺🌺।।

Comments

  1. We all should worship Lord Ganesha in his twelve names daily . Regards.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🙏

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