भारत का वर्ष फल: दे रहा बड़े संकेत
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ था।इस समय की कुंडली वृषभ लग्न की बनती है। भारत की कुंडली में इस समय दशा चंद्र/शुक्र की चल रही है जो 2025 को समाप्त होगी। भारत की कुंडली में ये लग्नेश, तृतीयेश, षष्ठेश होकर तृतीय भाव में स्थित है।ये भारतीय टेलेंट, टेली कम्युनिकेशन, अंतरिक्ष कार्यक्रमों से संबन्धित सफलता को इंगित करता है।तो वहीं दोनों स्त्री ग्रहों पर पीड़ा स्त्रियों की दुर्दशा को भी इंगित करती है।
15/8 / 2023 को हमारी स्वतंत्रता के 76 वर्ष पूर्ण हों रहे हैं। 2023-2024 का वर्ष फल बनाने पर हमें तुला लग्न मिल रहा है।
मुंथा कन्या राशि में जो वर्ष फल कुंडली का बारहवां भाव है तथा जन्म कुंडली का पांचवां भाव बनता है।
वर्ष कुंडली जन्म कुंडली के ही परिणामों की स्पष्टता देता है। सूर्य के अपने जन्मकालिन राशि व समान अंशों पर आने पर विभिन्न ग्रहों की गोचरीय स्थिति को वर्ष फल प्रकट करता है।
वर्ष फल विश्लेषण
भारत की कुंडली का वर्ष फल तुला लग्न का बन रहा है। वर्ष फल में लग्नेश, दशमेश, एकादशेश, अष्टमेश दशम भाव में प्रास्पेरिटी को दिखा रहा है परंतु यह अस्त होकर स्थित है जो स्त्रियों की गिरती हुई दुर्दशा को भी इंगित करता है।
लग्न में केतु है जिस पर षष्ठेश की दृष्टि है अरिष्ट निर्मित करता है।
अब हम पंचम भाव को देखें तो यहां शनि स्वग्रही तो है पर वक्री है साथ में मारकेश मंगल से दृष्ट है जो उन्माद योग निर्मित करता है। इसमें नवमेश -द्वादशेश बुध भी शामिल हैं।
इन योगों के ये परिणाम हो सकते हैं -
# 17,18,19 अगस्त को सरकार आरोप प्रत्यारोपो के बावजूद कुछ ठोस निर्णय ले सकती है।
तो वहीं प्रकृति की आपदाओं से भी सावधान रहें।
# अगस्त में भारतीय टेलेंट को विश्व स्तरीय सम्मान
# स्पेश प्रोग्राम ,टेलीकम्युनिकेशन, मांस कम्युनिकेशन से संबंधित कार्य
# महिलाओं की स्थिति में गिरावट। अगस्त -सितंबर में महिलाओ की स्थिति पर चर्चाऐं होगी पर सुरक्षा से संबंधित ठोस कानून की तरफ कोई संकेत नहीं दे रहा है।
# 5 सितंबर को बृहस्पति वक्री होंगे। धार्मिक उन्माद चरम पर होगा।अक्टूबर -नवंबर तक यु.सी.सी.बिल पर कोई परिणाम निकल सकता है। क्योंकि 17 नवंबर को मंगल वृश्चिक में गोचर करेंगे जो 27 दिसम्बर 2023 तक रहेंगे।
# प्रापर्टी,खान, खनिज पदार्थ,भुसंपदा से संबंधित कार्यों में सफलता का संकेत है।
# जनवरी -फरवरी में भारतीयो की स्थिति में गिरावट का संकेत है। अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की बहस होगी पर कोई लाभ नहीं मिलेगा।
# अप्रैल - मई 2024 में मुद्दा दशा बुध व केतु की मिलेगी।
मंगल -शनि का गोचर उस समय कुंभ पर रहेगा।
जो यह स्पष्ट करता कि - *भारतीय राजनीति में बड़े उलट फेर
*जनता की मानसिक पीड़ा या उन्माद या फिर किसी प्रकार का भय
*यहां पर पुनः प्राकृतिक प्रकोप से जनता परेशान हो सकती है।


Jai shree Krishna
ReplyDeleteWell written..as always
ReplyDeleteVery nice 👌
ReplyDeleteNice 🙏
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