क्या कहती है हिन्दू नववर्ष कुंडली

 हिंदू नववर्ष फल :

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा चार्ट



विक्रम संवत 2080का आरम्भ 22 मार्च 2023 से हो रहा है।

चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के समय सूर्य और चंद्रमा के मीन राशि में सामान अंशों पर आने हिंदू नववर्ष की शुरुआत  होती है। इस वर्ष 21 मार्च को रात्रि 10 बजकर 53 मिनट पर सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में सामान अंश पर होने से हिंदू नववर्ष की कुंडली इस वर्ष भारतीय समयानुसार वृश्चिक लग्न की बन रही है। बुधवार को प्रतिपदा उदया तिथि होने से आगामी वर्ष का राजा बुध होगा  तथा मंत्री शुक्र है। 

शास्त्रीय मत तथा फल-

  1. आचार्य वराहमिहिर के अनुसार शनि का शतभिषा नक्षत्र पर गोचर डाॅक्टर,वैद्य तथा व्यापारी वर्ग के लिए कष्टकारी कहा है। शनि शतभिषा नक्षत्र पर मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक रहेगा।

  2. भविष्य फल भास्कर के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में वृश्चिक लग्न उदित होने पर पश्चिम में दुर्भिक्ष हो, धातुओं में तेजी,तीन मास तक दुःख फिर सुख, मध्य देश में धान्य का नाश हो।

  3.  24 मार्च से पिंगल संवत्सर प्रारंभ होने से समाज तथा राजनीतिज्ञों में टकराव, आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि, प्रजा दुःखी रहे।

कुंडली में योग तथा फल-

  • लग्नेश की अष्टम में स्थिति अपने आप में एक कमजोर बिंदु है। लग्न पर शनि की दृष्टि भी शुभ नहीं है जो देश के कमजोर स्वास्थ्य तथा सीमित दायरे को बताता है।साथ ही नवांश के लग्न में लग्नेश द्वादशेष के साथ स्थित है जो पुनः उपरोक्त कथन की पुष्टि करता है।

पर लग्न पर बृहस्पति की दृष्टि द्वितीयेश वह पंचमेश होकर है तथा बली चतुर्थेश की दृष्टि कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था में सुधार तथा गति को दिखा रहा है।

  • चतुर्थ भाव में एक पाप ग्रह तथा नवांश के चतुर्थ भाव में मंगल स्थित होकर कहीं अतिवृष्टि तो अनावृष्टि की स्थिति निर्मित करती है। इसलिए फसलों में गिरावट,धान्य का अभाव तथा आवश्यक वस्तुओं में के मूल्यों में वृद्धि होगी। जनता कहीं न कहीं परेशानी का सामना करेगी।

  • कुंडली में 4 ग्रहो की युति पंचम भाव में है। पंचम भाव प्रतिभा का भाव है। नाटक कलाकार, शिल्प कलाकार,लेखक, वाणी से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए शुभ संकेत है।साथ ही मनोरंजन तथा भ्रमण से जुड़े व्यवसाय में लाभ के संकेत है।

  • सरकार के ग़लत निर्णयों से स्वयं के लिए परेशानी के संकेत।

  • शेयर मार्केट से लाभ

  • सप्तमेश शुक्र छठे भाव में शुक्र से युत होकर स्थित है जिस पर शनि की दृष्टि है जो महिलाओं की स्थिति में गिरावट दिखा रहा है। किसी प्रसिद्ध महिलाओं के अपमान या मृत्यु को दिखाता है।

  • सप्तम भाव विपक्ष को भी दिखाता है विपक्ष द्वारा विरोध, षड़यंत्र द्वारा क्रांति को अंजाम देने कि प्रक्रिया को भी दिखाता है।

  • मंगल षष्ठेश होकर तृतीय भाव पर दृष्टि दे रहा है सीमा पर कहीं न कहीं तनाव के सशस्त्र प्रयोग को भी दिखाता है।



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