मायूसी एक बड़ी समस्या है,


    मायूसी एक बड़ी समस्या है-

मायूसी एक बड़ी समस्या है, मायूसी जब लंबी अवधि तक चलती है तो अवसाद (डिप्रेशन )का रुप ले लेती है। अवसाद समस्त मानसिक बीमारियों का जनक है।

मायूसी के शिकार हर व्यक्ति होते हैं कोई ज्यादा तो कहीं कम, ज्योतिषी की दृष्टि से सामान्यतः मायूसी के शिकार वे व्यक्ति अधिक होते हैं जिनकी कुंडली में चंद्रमा जल तत्व तथा पृथ्वी तत्व राशि में स्थित होकर शनि से दृष्ट, युक्त होता है।साथ पंचम भाव हमारे इमोशन का भाव है यदि यह भी जल तत्व या पृथ्वी तत्व राशियों से युक्त है तो ऐसे व्यक्ति अधिक भावुक होते हैं। भावुक व्यक्ति प्रस्थितियो से अधिक जुड़ जाते है ।यह लगाव ही दुःख का कारण है इसके विपरित अग्नि तथा वायु तत्व राशियां जल्दी प्रतिक्रिया देती और जल्दी  किसी भी स्थिति से बाहर आ जाती है। इसलिए रिकवरी के लिए उत्तम होती है।

यह भी सत्य है कि घनघोर मायूसी के बाद कहीं न कहीं एक आशा की किरण नजर आती है और व्यक्ति अपने कार्य में जुट जाता है । ज्योतिष में इसे शुभ प्रभाव कहा है। बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा तथा पंचम भाव पर हो तो जातक कहीं न कहीं उम्मीद वह उत्साह उत्पन्न करता  है।मा

यूसी से उम्मीद के बीच जो बदलाव होता है वही आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह है।

ह उर्जा अवचेतन के अंदर की गहराइयों में होती है मायूसी इस उर्जा को संकुचित करती है तथा उसके प्रवाह को रोकती है।श्रीमद्भागवत गीता इस उर्जा की परम स्थिति को 'चैतन्य अवस्था 'तथा साइकेट्रिस्ट इसे ही व्यक्ति का 'आंतरिक बल' कहते हैं। इसलिए मायूसी को अवसाद का मौका मत दो जैसे ही अब मायूस हो अपने को अंदर से खुला छोड़े तथा किसी ऐसे कार्य को करें जो आपको सबसे ज्यादा रुचिकर लगता हो या फिर ईश्वर की आराधना करें ।आप ही विजय होंगे।

     जय श्री कृष्ण

।।🌺🌺आप सभी का मंगल हो 🌺🌺।।


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

भारत का वर्ष फल: दे रहा बड़े संकेत

सफल या असफल चंद्रयान -3

चंद्रयान -3 की सफलता का राज