क्या कहता है भारत का वर्ष फल

 भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है। 75 वर्ष पूर्ण होने पर वर्षफल कर्क लग्न का बन रहा ।

      वर्ष फल चार्ट 👇



 यहां हम वर्ष फल द्वारा आगे होने वाली घटनाओं को देखने का प्रयास कर रहे  हैं। यहां पर कर्क लग्न उदित हो रहा है। महादशा नाथ तथा लग्नेश चंद्रमा यहां पर सुखद स्थिति में है।

    वर्ष फल विश्लेषण 

वर्ष फल कुंडली के लग्न में सूर्य -शुक्र की युति आर्थिक स्थिति ,भूसंपदा , बड़ी इंडस्ट्रीज तथा अन्य उद्योग धंधों के लिए तरक्की का योग निर्मित करती है तो वहीं चौथे भाव में केतु स्थित है जिस पर मारकेश- अष्टमेश शनि की दृष्टि है।एक ओर यह जमीन के अंदर दबे खनिज पदार्थों के लिए से फायदा तथा शोध को इंगित करती है। वहीं दूसरी ओर जनता परेशान रहेगी तथा स्वास्थ्य में भी गिरावट के संकेत हैं कृषि उत्पादन में गिरावट, जमीन,घर आदि के दामों में गिरावट का संकेत है।

शनि - सूर्य आपस में परस्पर दृष्टि संबंध में है जो सरकार के कार्यो के  विराध को भी दिखाता है। आर्थिक स्थिति में गिरावट,तो वहीं कुछ घोटाले उजागर होंगे। 

    नवम भाव विदेशी समझौता, न्यायालय तथा धार्मिक भावनाओं को इंगित करता है। यहां पर गुरु -चंद्र की स्थिति सुखद है।पर यहां पर षष्ठेश  की स्थिति जिस पर अष्टमेश  शनि की दृष्टि है फिर धार्मिक संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करता है।ये ईत्थसाल तथा कंबुल योग में है अतः परिणामो की तिव्रता रहेगी।

शुक्र महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है जो सूर्य से युत तथा शनि व बृहस्पति से दृष्ट होकर स्थित है । महिलाओं के वर्चस्व के साथ उनके उत्थान के लिए कोई कानून पर चर्चा हो सकती है।

मंगल पंचमेश होकर पंचम भाव को दृष्ट कर रहा है शिक्षा तथा जनसंख्या नियंत्रण पर कुछ कानुन या नियमों पर चर्चा हो सकती है।

       दशा विश्लेषण -

     जन्मांग में विशोत्तरी दशा चंद्र/बुध की दिसंबर तक रहेगी उसके बाद पूरे समय चंद्र - केतु की रहेगी। बुध वर्ष फल में तृतियेश-द्वादशेश होकर द्वितीय भाव में पंचमेश मंगल से दृष्ट होकर स्थित है ,जो विदेशी निवेश को दिखा रहा है। यहां अधिक आशाजनक परिणाम नहीं मिलेंगे क्योंकि मंगल बुध किसी योग में नहीं है। 

     चंद्र/ केतु - जन्मांग में चंद्र तीसरे घर में तथा केतु सप्तम भाव में पड़ोसी देशों से तनाव तथा युद्ध जैसी स्थिति निर्मित करता है। नवांश में चंद्र केतु की युति छठे घर में है जो किसी संक्रमण का संकेत दे रही है।

      वहीं वर्ष फल में चौथे तथा नवम भाव से संबंध बना रहे हैं।जो मनोवैज्ञानिक, परिचारिकाएं (नर्स) माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित शोध, लेबोरटरी व पैथोलाजी वर्क के लिए उत्तम है। वहीं इस दशा के खराब परिणाम मानसिक रोगी,संक्रामक रोग, अकेलापन, अवसाद आदि रहेगें है।

 वर्ष फल में चंद्रमा षष्ठेश - मारकेश - अष्टमेश से युति दृष्टि में भी है तथा केतु चौथे घर में शनि से दृष्ट होकर स्थित है जो इंगित करता है कि एक ओर यह जमीन के अंदर दबे खनिज पदार्थों के लिए से फायदा तथा शोध को इंगित करती है। वहीं दूसरी ओर जनता परेशान रहेगी तथा स्वास्थ्य में भी गिरावट के संकेत हैं कृषि उत्पादन में गिरावट, जमीन,घर आदि के दामों में गिरावट का संकेत भी है। प्राकृतिक आपदाओं तथा अति वृष्टि से जन-धन की हानी के भी संकेत हैं।

 


Comments

  1. Aap ke margdarshan ke liye bhut bhut dhnywad 🙏

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